कलौंजी के 10 चौंका देने वाले लाभ।

कलौंजी, जिसे संस्कृत में “कृष्णजीरक” और अंग्रेज़ी में Nigella sativa कहा जाता है, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में जानी जाती है। यह एक सुगंधित बीज है जो स्वाद में तीखा होता है और अनेक औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में इसे त्रिदोषशामक (वात, पित्त और कफ को संतुलित करने वाला) माना गया है। इसके प्रयोग से शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ती है और कई प्रकार के रोगों से बचाव होता है।

1. आयुर्वेद के अनुसार, कलौंजी शरीर के तीनों दोषों वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करती है। यह वात को शांत कर जोड़ों के दर्द को कम करती है, पित्त को संतुलित कर पाचन तंत्र को सुधारती है, और कफ को नियंत्रित कर सांस संबंधी रोगों से राहत दिलाती है।

2. कलौंजी को आयुर्वेद में एक उत्तम “दीपन” और “पाचन” औषधि माना गया है। इसका नियमित सेवन पाचन अग्नि को मजबूत करता है, जिससे अजीर्ण, गैस, भूख न लगना और पेट फूलने जैसी समस्याएं दूर होती हैं।

3. आयुर्वेद के अनुसार, कलौंजी का सेवन शरीर के “ओज” को बढ़ाता है, जोकि हमारे शरीर की प्राकृतिक रोग-प्रतिरोधक शक्ति होती है। इससे व्यक्ति बार-बार होने वाले बुखार, सर्दी-खांसी और अन्य संक्रमणों से बचा रहता है।

4. कलौंजी कफ नाशक होती है, इसलिए यह अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, खांसी और साइनस जैसी समस्याओं में बेहद लाभदायक होती है। इसे शहद के साथ मिलाकर लेने से बलगम साफ होता है और सांस लेने में राहत मिलती है।

5. आयुर्वेद में कलौंजी को त्वचा संबंधी विकारों जैसे दाद, खुजली, फुंसी, मुंहासे आदि में लाभकारी बताया गया है। इसका तेल या बीज का पेस्ट त्वचा पर लगाने से सूजन कम होती है और त्वचा साफ व चमकदार बनती है।

6. कलौंजी मासिक धर्म की अनियमितता, सफेद पानी की समस्या (लिकोरिया), और हार्मोनल असंतुलन जैसी स्त्री रोगों में उपयोगी मानी जाती है। इसका सेवन आयुर्वेदाचार्यों द्वारा विभिन्न औषधियों के साथ मिलाकर कराया जाता है।

7. कलौंजी का तेल आयुर्वेद में केशवर्धक माना गया है। यह बालों के झड़ने को रोकता है, समय से पहले सफेद होने से बचाता है और बालों की जड़ों को पोषण देता है। इसे नारियल तेल या बादाम तेल के साथ मिलाकर बालों में लगाया जाता है।

8. कलौंजी मस्तिष्क को शक्ति देती है। आयुर्वेद में इसे “बुद्धिवर्धक” माना गया है। इसका सेवन दूध या शहद के साथ करने से एकाग्रता, स्मरण शक्ति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

9. कलौंजी का सेवन आयुर्वेद में मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी बताया गया है। यह शरीर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और अग्न्याशय की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है। सुबह खाली पेट कलौंजी पाउडर का सेवन इस स्थिति में लाभ देता है।

10. कलौंजी वात दोष को शांत करती है, इसलिए जोड़ों के दर्द, सूजन, गठिया, और पीठ दर्द में इसका तेल विशेष रूप से लाभकारी होता है। इसे गर्म करके जोड़ों पर मालिश करने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है।

कलौंजी आयुर्वेद के अनुसार एक बहुपयोगी और गुणकारी औषधि है, जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करती है। यह एक प्राकृतिक उपचार है जो आधुनिक जीवनशैली में होने वाली बीमारियों से लड़ने में सहायक होती है। यदि इसका सही मात्रा में और नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह जीवनशैली विकारों को दूर कर स्वास्थ्य को स्थायित्व प्रदान कर सकती है।

Leave a Comment