भारत की पारंपरिक रसोई में कई ऐसे पेय हैं जो न केवल स्वाद में बेहतरीन होते हैं बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी होते हैं। ऐसा ही एक पेय है कांजी। विशेष रूप से उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम में कांजी का सेवन एक आम परंपरा रही है। यह मुख्य रूप से काले गाजर, सरसों और पानी से तैयार किया जाता है और इसके खट्टे-चटपटे स्वाद के साथ ही इसके स्वास्थ्यवर्धक गुण भी इसे लोकप्रिय बनाते हैं।

1. कांजी एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक पेय है। इसमें प्राकृतिक रूप से बनने वाले अच्छे बैक्टीरिया (गुड बैक्टीरिया) पाचन को बेहतर बनाते हैं। यह आंतों को स्वस्थ रखते हैं, जिससे कब्ज, गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
2. प्रोबायोटिक्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर कांजी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाता है। यह सर्दियों में सर्दी-जुकाम से बचाने में सहायक होता है और शरीर को वायरस तथा बैक्टीरिया से लड़ने की शक्ति देता है।
3. कांजी लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। यह रक्त को साफ करता है और त्वचा को भी निखारता है।
4. कांजी लो-कैलोरी ड्रिंक है जो पेट को भरा हुआ महसूस कराता है। इससे भूख कम लगती है और बार-बार खाने की आदत में सुधार आता है। साथ ही, यह मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाता है जिससे फैट जल्दी बर्न होता है।
5. कांजी में एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है जो त्वचा को जवां और चमकदार बनाए रखते हैं। इसके नियमित सेवन से बालों का झड़ना कम होता है और उनकी मजबूती बढ़ती है।
6. काले गाजर से बनी कांजी में आयरन, विटामिन C, A और K अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। ये शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाते हैं और थकावट या एनीमिया जैसी समस्याओं से राहत दिलाते हैं।
7. कांजी में नैचुरल शुगर की मात्रा कम होती है, जिससे यह डायबिटिक रोगियों के लिए सुरक्षित मानी जाती है। यह रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद कर सकती है।
8. प्रोबायोटिक्स मानसिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव डालते हैं। यह सेरोटोनिन नामक हार्मोन को संतुलित कर मूड को बेहतर बनाते हैं और डिप्रेशन तथा तनाव को कम करते हैं।
9. काले गाजर में मौजूद एंथोसाइनिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है जो फ्री रेडिकल्स से लड़ता है और कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद कर सकता है।
10. कांजी सर्दियों के लिए एक आदर्श पेय है क्योंकि यह शरीर को अंदर से गर्म रखने में सहायक होती है। यह मौसम बदलने से होने वाली बीमारियों से बचाती है।

कांजी बनाने की विधि:
- काले गाजर – 500 ग्राम (न मिलें तो लाल गाजर से भी बना सकते हैं)
- सरसों पाउडर – 2 बड़े चम्मच
- नमक – स्वादानुसार (काला नमक बेहतर)
- हींग – एक चुटकी
- पानी – 2 लीटर
- काली मिर्च पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच
बनाने की विधि:
- गाजर को धोकर छील लें और लम्बे टुकड़ों में काट लें। चाहें तो थोड़ा सा चुकंदर भी मिला सकते हैं रंग और स्वाद के लिए।
- एक कांच या मिट्टी के बड़े बर्तन में पानी डालें। उसमें कटे हुए गाजर, सरसों पाउडर, नमक, हींग और काली मिर्च पाउडर मिलाएं।
- इस मिश्रण को ढककर 3 दिनों तक धूप में रखें। दिन में एक बार लकड़ी के चम्मच से हिलाते रहें।
- 3 दिनों में यह खट्टा हो जाएगा और इसका स्वाद अपने आप विकसित हो जाएगा। जब इसका स्वाद थोड़ा खट्टा लगे, तब समझिए कि कांजी तैयार है।
- कांजी को छानकर बोतल में भर लें और ठंडी या सामान्य तापमान पर परोसें।
कांजी सिर्फ एक पारंपरिक पेय नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्यवर्धक औषधि है जिसे हर उम्र के लोग पी सकते हैं। खासकर सर्दियों में यह पेट, त्वचा, बाल और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए वरदान साबित होती है। घर पर आसानी से बनने वाला यह पेय आपकी सेहत में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।अगर आप अपने दैनिक आहार में कुछ नेचुरल, देसी और फायदेमंद जोड़ना चाहते हैं तो कांजी एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।