गायत्री प्राणायाम कैसे करें? तरीका, फायदे और सावधानियाँ।

क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि सिर्फ साँस और मंत्र के मेल से आपका मन, शरीर और आत्मा तीनों शुद्ध हो सकते हैं? अगर हाँ, तो गायत्री प्राणायाम आपके लिए है। यह सिर्फ एक योग क्रिया नहीं, बल्कि एक गूढ़ साधना है जहाँ गायत्री मंत्र और प्राणायाम मिलकर एक ऐसी ऊर्जा पैदा करते हैं जो न केवल आपको भीतर से मजबूत बनाती है, बल्कि आपकी सोच, भावनाओं और स्वास्थ्य को नई दिशा देती है।

गायत्री प्राणायाम क्या होता है?

गायत्री प्राणायाम का अर्थ है गायत्री मंत्र के साथ साँसों को नियंत्रित करते हुए साधना करना।यह एक गहरा अभ्यास है जिसमें हम श्वास (प्राण) के साथ मंत्र को जोड़कर ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।

इसमें तीन मूल चरण होते हैं:
  1. पूरक (साँस भरना)
  2. कुंभक (साँस रोकना)
  3. रेचक (साँस छोड़ना)

और इस दौरान मन में या धीमे स्वर में गायत्री मंत्र का जप किया जाता है।

गायत्री प्राणायाम करने का सही तरीका (स्टेप बाय स्टेप गाइड)

समय: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4 से 6 बजे) सबसे श्रेष्ठ समय माना गया है।

स्थान: खुली, शांत और स्वच्छ जगह जहाँ आप बिना किसी रुकावट के बैठ सकें।

विधि:

1. सुखासन या पद्मासन में बैठें।

2. आँखें बंद करें, पीठ सीधी रखें।

3. तीन बार “ॐ” का उच्चारण करें।

4. अब गहरी साँस लें (पूरक) और मन में गायत्री मंत्र बोलें:

ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥

5. अब साँस को 10-15 सेकंड तक रोकें (कुंभक)।

6. फिर धीरे-धीरे साँस बाहर निकालें (रेचक) और अंत में दो सेकंड शांति में बैठें।

7. यह एक चक्र हुआ। ऐसे 5 से 11 चक्रों से शुरुआत करें, और धीरे-धीरे बढ़ाएँ।

गायत्री प्राणायाम के लाभ (आध्यात्म + विज्ञान)
1. मन की गहराई से सफाई

जब साँस और मंत्र एकसाथ होते हैं, तो विचारों की हलचल कम होती है। यह गहरी मानसिक शांति देता है, और ध्यान की स्थिति सहज बनती है।

2. ऊर्जा चक्रों (चक्रा) का संतुलन

गायत्री प्राणायाम शरीर के सातों चक्रों को जागृत करता है खासकर आज्ञा चक्र (third eye)और सहस्रार चक्र (crown chakra)।

3. फेफड़ों की क्षमता और ऑक्सीजन लेवल में सुधार

यह अभ्यास गहरी सांसों को बढ़ावा देता है, जिससे फेफड़ों की ताकत और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है।

4. डिप्रेशन और चिंता में राहत

गायत्री मंत्र की ध्वनि और लंबी साँसों से शरीर में serotonin और dopamine जैसे “खुशी वाले हार्मोन” बढ़ते हैं। इससे मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है।

5. आभा (Aura) शुद्ध होती है।

कहा जाता है कि नियमित गायत्री प्राणायाम से शरीर के चारों ओर की ऊर्जा पवित्र होती है जिससे नकारात्मकता दूर होती है।

कितनी देर करें?
  • शुरुआती लोग: 5 मिनट प्रतिदिन
  • मध्यम अभ्यास: 15 मिनट
  • गंभीर साधक: 30 मिनट तक भी कर सकते हैं (गुरु के मार्गदर्शन में)
सावधानियाँ (Precautions):
  • खाना खाने के 2 घंटे बाद ही प्राणायाम करें
  • अगर आप अस्थमा या BP के मरीज हैं, तो बिना विशेषज्ञ से पूछे अभ्यास न करें
  • जबरदस्ती साँस रोकने या छोड़ने की कोशिश न करें यह प्रवाह है, न कि परीक्षा
गायत्री प्राणायाम बनाएं अपनी दिनचर्या का हिस्सा

इस भागती दौड़ती ज़िंदगी में, जहाँ शांति ढूंढना एक चुनौती बन गया है वहाँ गायत्री प्राणायाम एक ऐसा साधन है जो आपको अंदर से स्थिर करता है।यह न सिर्फ एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, बल्कि एक प्राकृतिक हीलिंग तकनीक भी है।

गायत्री प्राणायाम कोई जटिल साधना नहीं है ये एक सरल, प्रभावशाली और पवित्र अभ्यास है, जो जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और शांति लाता है। तो आज ही शुरुआत करें रोज़ सिर्फ 5 मिनट अपने लिए।क्योंकि सबसे बड़ा ध्यान वो है जो साँसों और मंत्र के मेल से खुद से जोड़े।

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