पुराने समय में लोग अपनी त्वचा की देखभाल के लिए प्राकृतिक और देसी तरीकों का इस्तेमाल करते थे, जो न केवल प्रभावी थे बल्कि त्वचा के लिए बहुत सुरक्षित भी थे। इन प्राचीन स्किन केयर रूटीन में कोई रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल नहीं होता था, बल्कि हर्बल और प्राकृतिक अवयवों का उपयोग किया जाता था।

1. साफ-सफाई और त्वचा को हाइड्रेट रखनापुराने समय में लोग अपनी त्वचा की सफाई के लिए ताजे दूध और पानी का उपयोग करते थे। नहाने के लिए लोग प्राकृतिक हर्ब्स जैसे हल्दी, चंदन, और गुलाब जल का प्रयोग करते थे। इसके अलावा, लोग सुबह उठते ही चेहरे पर ताजे पानी से धोते थे, ताकि त्वचा पर जमा गंदगी और मृत कोशिकाएं हट जाएं।
हल्दी और चंदन का प्रयोग: हल्दी के एंटीबैक्टीरियल गुणों की वजह से इसे त्वचा की देखभाल में प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता था। हल्दी का पेस्ट बना कर उसे चेहरे पर लगाया जाता था, जिससे त्वचा पर निखार आता था और मुंहासों की समस्या भी कम होती थी। चंदन का भी उपयोग ठंडक देने के लिए किया जाता था, जिससे त्वचा को राहत मिलती थी और यह त्वचा के रंग को भी निखारता था।
2. ऑयलिंग और मसाजपुराने ज़माने में त्वचा की देखभाल के लिए तेल का महत्वपूर्ण स्थान था। लोग नारियल तेल, तिल का तेल, और बादाम तेल का इस्तेमाल करते थे। ये तेल त्वचा को गहरे से हाइड्रेट करते थे और रक्त संचार को बढ़ाते थे, जिससे त्वचा में प्राकृतिक चमक आती थी।
नारियल तेल: नारियल तेल को सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता था। यह त्वचा को नमी प्रदान करने के साथ-साथ उसे मुलायम और स्वस्थ बनाता था। शरीर और चेहरे पर हल्के हाथों से तेल की मालिश की जाती थी, जो त्वचा को पोषण देता था और उसे ताजगी और राहत मिलती थी।
बादाम तेल: बादाम तेल में विटामिन E होता है, जो त्वचा की त्वचा की मरम्मत और पुनर्निर्माण में मदद करता है। यह न केवल त्वचा को नमी प्रदान करता था बल्कि यह ब्लीमिशेज और झाइयों को भी कम करने में मदद करता था।
3. स्क्रबिंग और एक्सफोलिएशनपुराने समय में त्वचा की एक्सफोलिएशन के लिए प्राकृतिक स्क्रब का इस्तेमाल किया जाता था। लोग हल्दी और चने के आटे (बेसन) का मिश्रण बना कर उसे चेहरे और शरीर पर हलके हाथों से रगड़ते थे। इससे त्वचा के मृत कोशिकाएं निकल जाती थीं और त्वचा को नया रूप मिलता था।

बेसन और हल्दी स्क्रब: बेसन और हल्दी का मिश्रण त्वचा की सफाई के लिए एक बेहतरीन तरीका था। यह न केवल त्वचा की गंदगी को हटाता था बल्कि हल्दी के एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा पर सूजन और मुंहासों की समस्या को भी कम करते थे। बेसन त्वचा को एक्सफोलिएट करने का काम करता था, जिससे त्वचा पर चमक आती थी।
4. प्राकृतिक मास्क और पैकपुराने ज़माने में चेहरे पर लगाने के लिए घरेलू फेस पैक बनाए जाते थे। इन पैक में प्राकृतिक अवयवों का इस्तेमाल किया जाता था, जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते थे।
मुल्तानी मिट्टी (Fuller’s Earth): यह एक प्राकृतिक मिट्टी होती है, जिसका उपयोग पुराने समय में त्वचा को साफ और ग्लोइंग बनाने के लिए किया जाता था। इसे पानी या गुलाब जल में मिला कर चेहरे पर लगाया जाता था। यह त्वचा के अतिरिक्त तेल को सोख लेता था और त्वचा को ताजगी देता था।
गुलाब जल और चंदन: गुलाब जल का उपयोग चेहरे को ठंडक देने के लिए किया जाता था। यह त्वचा को हाइड्रेट करता था और चंदन के साथ मिलकर त्वचा को शांति और निखार प्रदान करता था।
5. आहार और जीवनशैलीपुराने समय में लोग अपनी त्वचा की देखभाल को केवल बाहरी उत्पादों तक सीमित नहीं रखते थे। उनका मानना था कि त्वचा का स्वास्थ्य शरीर के अंदर से आंतरिक रूप से प्रभावित होता है। इस कारण वे अपनी आहार और जीवनशैली का भी विशेष ध्यान रखते थे।
फल और सब्जियाँ: ताजे फल और सब्जियाँ, जैसे गाजर, खीरा, अमरूद, और संतरा, त्वचा को पोषण देने के लिए खाए जाते थे। इन फलों और सब्जियों में विटामिन C, एंटीऑक्सीडेंट्स और पानी की पर्याप्त मात्रा होती है, जो त्वचा को निखारने में मदद करती हैं।
जल का सेवन: पुरानी संस्कृति में पानी का अधिक सेवन करने का भी महत्व था। हाइड्रेशन का ध्यान रखते हुए लोग दिनभर पानी पीते रहते थे, जिससे त्वचा भीतर से हाइड्रेट रहती थी और ताजगी बनी रहती थी।
6. स्वास्थ्य और मानसिक शांति
आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतुलन भी त्वचा की सुंदरता के लिए आवश्यक माने जाते थे। ध्यान और योग का अभ्यास शरीर और मन को शांत करता था, जिससे त्वचा पर प्राकृतिक रूप से निखार आता था।
ध्यान और प्राणायाम: इनका अभ्यास न केवल शरीर को तरोताजा करता था, बल्कि तनाव को भी कम करता था। जब मन शांत रहता था, तब त्वचा पर भी एक प्राकृतिक आभा बनी रहती थी।
पुराने ज़माने की स्किन केयर रूटीन एकदम प्राकृतिक और सरल था, जिसमें रासायनिक उत्पादों की जगह प्राकृतिक हर्ब्स, तेल, और घरेलू उपायों का इस्तेमाल किया जाता था। इन तरीकों से न केवल त्वचा की सुंदरता बढ़ती थी बल्कि यह त्वचा को स्वस्थ और शुद्ध बनाती थी। आजकल के ब्यूटी ट्रेंड्स को देखकर यह समझ आता है कि प्राकृतिक स्किन केयर की महत्ता कभी भी कम नहीं हो सकती।