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Refined Oil और cold pressed oil में क्या अंतर है।
आजकल हमारे खाने में तेल का इस्तेमाल बहुत आम है, लेकिन विभिन्न प्रकार के तेलों का सेवन हमारे स्वास्थ्य पर अलग-अलग प्रभाव डाल सकता है। दो प्रमुख प्रकार के तेल जो अधिकतर बाजार में मिलते हैं, वे हैं (Refined Oil) (परिष्कृत तेल) और कच्ची घानी का तेल (Cold-Pressed Oil)। इन दोनों तेलों के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं, और इनका प्रभाव हमारे शरीर पर भी अलग-अलग तरीके से पड़ता है।

- Refined Oil (परिष्कृत तेल)
Refined Oil का निर्माण रिफाइनिंग प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जिसमें तेल को उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है और विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं से इसे साफ और शुद्ध किया जाता है। इसमें आमतौर पर शोधन, ब्लीचिंग, और डिओडोराइजिंग जैसी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।
- इस तेल को प्रोसेसिंग के दौरान कई रासायनिक तत्वों और उच्च तापमान का सामना करना पड़ता है। यह तेल साफ, रंगहीन और गंधहीन होता है।
- रिफाइंड तेल में उच्च शेल्फ लाइफ होती है, यानी यह लंबे समय तक खराब नहीं होता।
- इसमें कोई विशेष स्वाद या गंध नहीं होती, जिससे यह विभिन्न प्रकार के पकवानों के लिए उपयुक्त होता है।
- यह तेल प्रोसेसिंग के दौरान बहुत गर्म होता है, इसलिए इसमें मौजूद अधिकांश प्राकृतिक विटामिन और मिनरल्स नष्ट हो जाते हैं।
Refined Oil के शरीर पर प्रभाव:
यह तेल अधिकतर सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट्स में परिवर्तित हो सकता है, जो दिल की बीमारी और कोलेस्ट्रॉल स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इसमें कुछ प्राकृतिक पोषक तत्व कम होते हैं, जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड्स। अधिक प्रोसेस्ड होने के कारण, यह पेट में धीरे-धीरे पचता है और वजन बढ़ने का कारण बन सकता है।
2. Cold-Pressed या कच्ची घानी का तेल:
Cold-Pressed Oil, जिसे कच्ची घानी का तेल भी कहा जाता है, प्राकृतिक तरीके से दबाकर निकाला जाता है। इसमें गर्मी या रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे तेल में अधिकतम पोषक तत्व बने रहते हैं।
- इस तेल को ओलिव, सूरजमुखी, मूंगफली, या अन्य बीजों से बिना गर्मी या रसायन के दबाकर निकाला जाता है।
- कच्ची घानी के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, विटामिन E, एंटीऑक्सिडेंट्स, और अन्य आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।
- तेल का स्वाद और गंध अधिक होता है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से निकाला गया होता है। यह अधिकतर पारंपरिक और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों द्वारा पसंद किया जाता है।
- यह तेल हल्का होता है, और शरीर में जल्दी अवशोषित हो जाता है।
Cold-Pressed Oil के शरीर पर प्रभाव:
इसमें उच्च गुणवत्ता वाले ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड्स होते हैं, जो दिल और मस्तिष्क के लिए फायदेमंद होते हैं यह तेल शरीर के कोलेस्ट्रॉल स्तर को संतुलित रखने में मदद करता है और हृदय रोगों के खतरे को कम करता है। यह एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है, जो शरीर को मुक्त कणों से बचाता है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है। कच्चे तेल में विटामिन E और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होते हैं।
गुलाब जल के 6 जादुई फायदे
गुलाब जल एक प्राकृतिक उत्पाद है जो न केवल सुगंधित होता है बल्कि स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसे त्वचा, बालों और शरीर के अन्य हिस्सों पर उपयोग किया जा सकता है। आइए जानते हैं गुलाब जल के फायदे, इसे बनाने का तरीका और इसके इस्तेमाल का तरीका।

1. गुलाब जल त्वचा को मॉइस्चराइज़ करने में मदद करता है और त्वचा को ताजगी देता है। यह ड्राई स्किन से निपटने में सहायक है और त्वचा को नरम बनाता है।
2. गुलाब जल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो मुँहासों और त्वचा की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह त्वचा को ठंडक देता है और उसे स्वस्थ बनाए रखता है।
3. गुलाब जल में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो त्वचा की सेहत को बेहतर बनाते हैं। यह त्वचा में प्राकृतिक निखार लाता है और रंगत को साफ और चमकदार बनाता है।
4. गुलाब जल पीने से शरीर में होने वाली सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है। यह पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानी में राहत देता है।
5. गुलाब जल को आँखों पर लगाने से आँखों की थकावट और जलन को कम किया जा सकता है। यह आँखों को शांत करता है और उन्हें ताजगी प्रदान करता है।
6. गुलाब जल को बालों में लगाने से बालों की गुणवत्ता में सुधार आता है। यह बालों को मुलायम बनाता है और बालों का झड़ना कम करने में मदद करता है।

गुलाब जल घर पर भी आसानी से बनाया जा सकता है। इसके लिए आपको ताजे गुलाब के फूलों और पानी की जरूरत होती है।
सामग्री:
- ताजे गुलाब के फूल (10-12)
- पानी (1 कप)
विधि:
- सबसे पहले गुलाब के ताजे फूलों को अच्छे से धो लें ताकि उस पर किसी भी तरह का कीटाणु न हो।
- अब इन फूलों को छोटे टुकड़ों में काट लें और एक बर्तन में डाल लें।
- बर्तन में 1 कप पानी डालें और इसे धीमी आंच पर गरम करें।
- पानी को तब तक गरम करें जब तक वह गुलाबी रंग का न हो जाए। ध्यान रहे कि पानी उबालने न लगे, बस इसे हल्के से गरम करें।
- जब पानी गुलाबी रंग का हो जाए, तो इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
- इसके बाद, इस मिश्रण को छानकर एक साफ बोतल या कांच के जार में भर लें।
- आपका ताजे गुलाब का पानी तैयार है!

गुलाब जल का इस्तेमाल करने का तरीका:
- गुलाब जल को एक कॉटन बॉल में लेकर चेहरे पर लगाएं। यह स्किन को टोन करता है, पोषण देता है और मुँहासों के उपचार में सहायक होता है।
- गुलाब जल को अन्य प्राकृतिक सामग्री जैसे मधुमक्खी शहद या आटे के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा में निखार आता है और त्वचा को ठंडक मिलती है।
- गुलाब जल को फ्रिज में ठंडा करके चेहरे पर स्प्रे करें, यह त्वचा को ताजगी और ठंडक देगा।
- गुलाब जल को पानी के साथ मिलाकर पीने से यह शरीर को हाइड्रेट करता है और त्वचा में निखार लाता है। आप इसे नियमित रूप से पी सकते हैं।
पैरों में बिछिया पहनने के वैज्ञानिक फायदे।
बिछिया भारतीय परंपरा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। महिलाओं द्वारा विशेष रूप से पैरों में बिछिया पहनना, एक प्राचीन परंपरा है जो न केवल सौंदर्य और आभूषण के रूप में देखी जाती है, बल्कि इसके पीछे स्वास्थ्य और विज्ञान का भी एक गहरा संबंध है। बिछिया पहनने के कई फायदे हैं।

1. पैरों में बिछिया पहनने का सबसे बड़ा वैज्ञानिक लाभ यह है कि यह हमारे शरीर के विभिन्न अंगों और ऊर्जा केंद्रों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। पैर के अंगूठे, तलवे और पैर के अन्य हिस्से शरीर के ऊर्जा केंद्रों से जुड़े होते हैं, जिन्हें रेफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) कहा जाता है। बिछिया पहनने से पैर में स्थित इन ऊर्जा केंद्रों पर दबाव पड़ता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार बढ़ता है और रक्त संचार में सुधार होता है। यह शरीर के भीतर की अशांति को शांत करता है और संतुलन बनाए रखता है।
2. बिछिया पहनने से पैरों पर हलका दबाव पड़ता है, जो प्राकृतिक दबाव चिकित्सा (Pressure Therapy) के रूप में कार्य करता है। यह दबाव पैर के विभिन्न बिंदुओं पर पड़ता है, जो शरीर में रक्त प्रवाह को सुधारने में मदद करता है। यह प्रक्रिया एंटी-इन्फ्लेमेटरी होती है और शरीर में सूजन और दर्द को कम करती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो पैरों के दर्द या सूजन से परेशान रहते हैं।
3. बिछिया पहनने से पैरों में रक्त संचार बढ़ता है, जो लंबे समय तक खड़े रहते हैं या जिनके पास कमजोर रक्त संचार है। बिछिया पहनने से पैरों में रक्त प्रवाह सामान्य रहता है, जिससे हृदय और मस्तिष्क तक अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचते हैं। यह थकान को कम करने में मदद करता है और शरीर को ताजगी का अहसास दिलाता है।
4. विज्ञान के अनुसार, बिछिया पहनने से महिलाओं के हार्मोनल संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह खासकर महिलाओं के मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं को हल करने में मदद कर सकता है। पैर के अंगूठे के नीचे एक महत्वपूर्ण बिंदु होता है, जिसे प्रजनन प्रणाली से जोड़ा गया है। बिछिया पहनने से इस बिंदु पर दबाव बनता है, जो हार्मोनल असंतुलन को कम करने में मदद करता है और मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करता है।
5. जब बिछिया पहना जाता है, तो यह एक प्राकृतिक मसाज़ जैसा काम करता है। बिछिया द्वारा उत्पन्न होने वाला हल्का दबाव शरीर के तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और मानसिक स्थिति को बेहतर बनाता है। यह मनोबल को बढ़ाता है, बिछिया पहनने से शरीर में सेरोटोनिन (Serotonin) और एंडोर्फिन (Endorphins) जैसे खुश रहने वाले हार्मोन का स्राव होता है, जो मानसिक शांति और सुकून प्रदान करते हैं।

6. पैरों के अंगूठे और तलवे में कुछ विशेष दबाव बिंदु होते हैं जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी हुई हैं। बिछिया पहनने से इन बिंदुओं पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे स्मरण शक्ति में सुधार हो सकता है। यह विशेष रूप से वृद्धावस्था में मानसिक शक्ति को बनाए रखने और मस्तिष्क की गतिविधियों को सक्रिय रखने में मदद करता है।
7. पैरों में बिछिया पहनने से हड्डियों और जोड़ों को भी लाभ होता है। बिछिया का दबाव पैरों में स्थित हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करता है। यह हड्डियों के विकास को बढ़ावा देता है और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है।
8. भारतीय संस्कृति में, बिछिया पहनने को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे एक साकारात्मक ऊर्जा के रूप में देखा जाता है जो शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करती है। बिछिया पहनने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और यह ध्यान और साधना के लिए एक अच्छा साधन हो सकता है।
9. बिछिया पहनने से शरीर में तनाव कम होता है और रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे अच्छी नींद आने में मदद मिलती है। जब शरीर आराम से होता है, तो नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है और व्यक्ति ताजगी महसूस करता है।
10. कई आयुर्वेदिक दृष्टिकोणों के अनुसार, बिछिया पहनने से पैरों में ठंडक और गर्मी के बीच संतुलन बना रहता है। खासकर सर्दियों में, बिछिया पहनने से शरीर को गर्म रखने में मदद मिलती है और सर्दी-खांसी और फ्लू जैसी समस्याओं से बचाव होता है।
पैरों में बिछिया पहनने के वैज्ञानिक फायदे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करते हैं। यह प्राकृतिक दबाव चिकित्सा, रक्त संचार में सुधार, हार्मोनल संतुलन, मानसिक शांति, और कई अन्य स्वास्थ्य लाभों को बढ़ावा देता है। इसलिए, बिछिया केवल एक फैशन एक्सेसरी नहीं है, बल्कि यह हमारे शरीर और मानसिक स्थिति के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व हो सकता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के अनेकों स्वास्थ्य लाभ।
हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त का विशेष महत्व है। यह वह समय है, जो सूर्योदय से पहले का होता है और इसे धार्मिक, मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त आमतौर पर सुबह 3:30 से 5:30 के बीच का समय होता है। इस समय उठने से शरीर और मन पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।

- प्राकृतिक ऊर्जा का संचार:
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से शरीर में प्राकृतिक ऊर्जा का संचार होता है। इस समय वातावरण में शुद्ध हवा और ताजगी होती है। इसका प्रभाव हमारे शरीर पर सीधा पड़ता है, जिससे हमें पूरे दिन के लिए ऊर्जा और ताजगी मिलती है। साथ ही, शरीर में ऑक्सीजन की अधिकता से कोशिकाओं को ज्यादा पोषण मिलता है और शरीर अधिक सक्रिय रहता है।
2. मानसिक शांति और ध्यान की स्थिति:
ब्रह्म मुहूर्त का समय मानसिक शांति के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस समय वातावरण शांत और निष्कलंक होता है, जिससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह समय ध्यान, प्राणायाम या अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए सबसे उत्तम है। जब हम ध्यान करते हैं या मंत्र जाप करते हैं, तो इससे मानसिक शांति मिलती है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।
3. हॉर्मोनल संतुलन:
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से शरीर के हॉर्मोनल स्तर में संतुलन बना रहता है। शोधों से यह भी प्रमाणित हुआ है कि इस समय उठने से कोर्टिसोल (जो तनाव से जुड़ा हॉर्मोन है) का स्तर नियंत्रित रहता है। इसके अलावा, यह समय हमारे पाचन तंत्र और शरीर की अन्य क्रियाओं के लिए भी उपयुक्त होता है, जिससे शरीर का मेटाबोलिज्म बेहतर होता है।
4. स्वस्थ आदतों की शुरुआत:
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति का दिन व्यवस्थित और समयबद्ध रूप से शुरू होता है। यह एक ऐसी आदत है, जो पूरे दिन की कार्यक्षमता और उत्पादकता को बढ़ाती है। जब हम समय पर उठकर योग, प्राणायाम या हल्की एक्सरसाइज करते हैं, तो यह न केवल हमारे शरीर को ताजगी प्रदान करता है, बल्कि मानसिक दृष्टि से भी हम अधिक सशक्त होते हैं।

5. अच्छी नींद और शरीर की स्फूर्ति:
अगर हम नियमित रूप से ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं, तो हमारे शरीर का जैविक घड़ी (biological clock) सही तरीके से काम करती है। इससे नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है और रात में हम गहरी नींद ले पाते हैं। गहरी नींद से शरीर में ऊर्जा का पुनर्निर्माण होता है और हम पूरे दिन में स्फूर्ति महसूस करते हैं।
6. मस्तिष्क और शारीरिक विकास:
ब्रह्म मुहूर्त इस समय मन प्रसन्न और केंद्रित रहता है, जिससे अध्ययन या किसी भी प्रकार के मानसिक कार्य में बेहतर परिणाम मिलते हैं। इसके अलावा, सुबह का समय शारीरिक विकास के लिए उपयुक्त है क्योंकि इस समय शरीर में टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हॉर्मोन) का स्तर अधिक होता है, जो मांसपेशियों के विकास में मदद करता है।
7. आध्यात्मिक उन्नति:
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के रास्ते खुलते हैं। इस समय का उपयोग साधना, मंत्र जाप, ध्यान या पूजा के लिए किया जा सकता है। यह समय व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर के साथ एकता की दिशा में मार्गदर्शन करता है। नियमित रूप से ब्रह्म मुहूर्त में उठकर यह साधना करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख और संतोष आता है।
सर्दियों में सप्तधातुवर्धक पौष्टिक लड्डू
सर्दियों में गोंद के लड्डू (Gond Laddoo) एक पारंपरिक भारतीय व्यंजन है, जिसे विशेष रूप से सर्दी के मौसम में खाया जाता है। गोंद जो पेड़ की छाल से प्राप्त होता है। गोंद के लड्डू सर्दी के मौसम में शरीर को गर्मी और ऊर्जा प्रदान करने के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।

1. गोंद एक गर्म तासीर वाला पदार्थ है और इसका सेवन सर्दियों में शरीर को भीतर से गर्म रखता है। सर्दी के मौसम में गोंद के लड्डू खाने से शरीर में गर्मी बनी रहती है, जिससे सर्दी से बचाव होता है और शरीर ठंड से प्रभावित नहीं होता।
2. गोंद में कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स होते हैं, जो हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। सर्दी में जोड़ों का दर्द और सूजन आम समस्या होती है, और गोंद का सेवन हड्डियों को ताकतवर बनाने के साथ-साथ जोड़ों के दर्द को भी कम करता है।
3. गोंद में एंटीऑक्सीडेंट्स और कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। सर्दी-जुकाम और फ्लू जैसी बीमारियों का खतरा सर्दियों में अधिक रहता है, और गोंद के लड्डू खाने से शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ती है, जिससे संक्रमणों से बचाव होता है।
4. गोंद पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद है। यह पेट की गैस, जलन और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है। गोंद के लड्डू खाने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और भोजन का सही तरीके से पाचन होता है। यह खासतौर पर सर्दियों में होने वाली पाचन संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
5. गोंद के लड्डू में विटामिन E और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो त्वचा के लिए लाभकारी होते हैं। सर्दियों में अक्सर त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है, और गोंद के लड्डू त्वचा को नमी प्रदान करते हैं, जिससे त्वचा सॉफ्ट और ग्लोइंग बनी रहती है।
6. गोंद का सेवन रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह सर्दी के मौसम में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचते हैं। इससे शरीर में ताजगी बनी रहती है और थकावट कम होती है।
7. गोंद में मौजूद पोषक तत्व जैसे मैग्नीशियम और विटामिन B12 मानसिक शांति और ताजगी प्रदान करते हैं। सर्दियों में अक्सर लोग मानसिक थकान और तनाव का सामना करते हैं, और गोंद के लड्डू मानसिक स्थिति को स्थिर करने में मदद करते हैं। यह मूड को बेहतर बनाता है और अवसाद के लक्षणों को कम करता है।

गोंद के लड्डू एक पौष्टिक और ऊर्जा से भरपूर व्यंजन है, खासकर सर्दियों में। इसे बनाने का तरीका यहां दिया गया है।
सामग्री:
- 1 कप गोंद
- 1/2 कप बादाम
- 1/2 कप मखाना
- 1/2 कप काजू
- 1/4 कप खसखस
- 1/4 चम्मच इलाइची पाउडर
- 1/2 कप सूखा नारियल (कद्दूकस किया हुआ)
- 1/2 कप घी
- 1/2 कप गुड़ (स्वाद अनुसार)
- 1/4 चम्मच जायफल पाउडर
विधी:
- सबसे पहले, काजू, बादाम, मखाना और खसखस को हल्का सा भून लें। बादाम और काजू को छोटे टुकड़ों में काट लें। मखाने को भी थोड़ी देर तक सेंक लें। भूनने के बाद इन सभी को एक प्लेट में निकालकर रखें।
- अब एक कढ़ाई में 2-3 चम्मच घी गर्म करें और उसमें गोंद डालें। गोंद को धीमी आंच पर अच्छे से भूनें जब तक वह फूलकर हल्का सुनहरा न हो जाए। इसे निकालकर एक प्लेट में रख लें।
- उसी कढ़ाई में 1-2 चम्मच घी डालें और उसमें कद्दूकस किया हुआ सूखा नारियल डालकर हल्का सा भून लें। फिर इलाइची पाउडर और जायफल पाउडर डालें।
- अब इस मिश्रण में गुड़ डालें और उसे अच्छे से घोल लें। जब गुड़ पूरी तरह घुल जाए, तो गैस को बंद कर दें।
- अब इस मिश्रण में भुनी हुई गोंद, ड्राई फ्रूट्स और मखाने को डालें। सबको अच्छे से मिला लें ताकि सारे तत्व एकसाथ जुड़ जाएं।
- मिश्रण थोड़ा ठंडा होने पर, अपनी हथेली में घी लगाकर मिश्रण से छोटे-छोटे लड्डू बना लें।
गोंद के लड्डू तैयार हैं! यह लड्डू शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, खासकर सर्दी के मौसम में। इनका सेवन ऊर्जा बढ़ाने, हड्डियों को मजबूत करने और शरीर को ताकत देने में मदद करता है।
अदरक के कुछ ऐसे फायदे जो आप नहीं जानते होंगे।
अदरक में कई प्रकार के विटामिन और खनिज होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। अदरक में प्रमुख रूप से विटामिन C, विटामिन B6, और विटामिन E होते हैं।

1. अदरक में विटामिन c भी पाया जाता है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। और शरीर को विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाने में मदद करता है। जिससे शरीर इंफेक्शन और बिमारियों से बचा रहता है। जिससे त्वचा स्वस्थ और सुंदर रहती है। एंटीऑक्सीडेंट यह शरीर से हानिकारक मुक्त कणों को बाहर निकालने में मदद करता है।
2. अदरक में विटामिन B6 की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो कई शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए जरूरी है। यह मस्तिष्क के कार्यों को सुधारने में मदद करता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। विटामिन B6 मूड स्विंग्स और अवसाद(डिप्रेशन) को कम करने में मदद करता है। हृदय स्वास्थ्य में यह रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
3. अदरक में विटामिन E भी पाया जाता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद है विटामिन E त्वचा को नमी और कोमलता प्रदान करता है और बालों को स्वस्थ रखता है। यह “खराब” कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को कम करता है, जिससे दिल की बीमारी का खतरा घटता है। एंटीऑक्सीडेंट यह शरीर में फ्री रेडिकल्स को नियंत्रित करता है, जिससे उम्र बढ़ने के लक्षण कम होते हैं।

- अदरक में मैंगनीज, मैग्नीशियम, पोटेशियम और आयरन जैसे खनिज भी होते हैं, जो शरीर के विभिन्न कार्यों में सहायक होते हैं।
- मैंगनीज हड्डियों और त्वचा के स्वास्थ्य में मदद करता है, मैग्नीशियम मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र को आराम देता है।
- पोटेशियम रक्तदाब को नियंत्रित करता है और हृदय को स्वस्थ रखता है।
- आयरन रक्त की कमी (एनीमिया) को रोकता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता हैं।

अदरक के इस्तेमाल करने के तरीके:
- अदरक को उबाल कर चाय बना सकते हैं, जो सर्दी, खांसी और पाचन के लिए फायदेमंद है। एक कप पानी में 1-2 इंच अदरक का टुकड़ा डालकर उबालें, फिर इसमें गुड और नींबू मिला सकते हैं।
- अदरक का सेवन सर्दी-खांसी और गले की खराश में राहत देता है, क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं।
- अदरक का ताजा रस निकालकर इसे पानी या गुड, शहद के साथ मिलाकर पी सकते हैं।
- आप ताजे अदरक के टुकड़े चबाकर भी सीधे सेवन कर सकते हैं। इससे आपको खांसी से आराम मिलेगा। यह खासकर पाचन और मुंह और गले की समस्याओं के लिए अच्छा होता है।
- अदरक का रस और शहद मिलाकर खाने से सर्दी, खांसी और गले की खराश में राहत मिलती है।
- अदरक और नींबू का मिश्रण पाचन को दुरुस्त रखने और वजन घटाने के लिए उपयोगी होता है।
अदरक का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक सेवन से पाचन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
सबसे शक्तिशाली डिटॉक्स जूस
सफेद पेटा (White Petha), एक हल्का और पौष्टिक फल है जो विशेष रूप से गर्मी के मौसम में पाया जाता है। सफेद पेटा का जूस स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक फायदेमंद हो सकता है।

1. सफेद पेटा में 90% पानी होता है, जो शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। यह खासकर गर्मी के मौसम में बहुत फायदेमंद है, क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है और शरीर को ठंडा रखता है।
2. सफेद पेटा का जूस पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है। यह आंतों को साफ करता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है। इसके नियमित सेवन से गैस्ट्रिक समस्याएं भी कम हो सकती हैं।
3. सफेद पेटा में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है और यह प्राकृतिक रूप से फैट बर्न करने में मदद करता है। यह मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे वजन घटाने में सहायता मिलती है।
4. सफेद पेटा के जूस में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाने में मदद करते हैं। यह त्वचा की जलन और सनबर्न जैसी समस्याओं को दूर करता है और त्वचा को ठंडक पहुंचाता है।
5. सफेद पेटा में पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
6. सफेद पेटा का जूस शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह लिवर और किडनी को साफ करता है, जिससे शरीर का प्राकृतिक डिटॉक्स प्रोसेस बेहतर होता है।
कब पीना चाहिए सफेद पेटा का जूस:
- सफेद पेटा का जूस गर्मियों में विशेष रूप से लाभकारी होता है क्योंकि यह शरीर को ठंडा रखता है और गर्मी से उत्पन्न होने वाली प्यास को शांत करता है।
- सफेद पेटा का जूस खाली पेट पीना चाहिए। और वर्कआउट के बाद पीने से शरीर को हाइड्रेशन मिलता है और यह थकान को कम करता है। साथ ही, यह मांसपेशियों की मरम्मत में मदद करता है।
- अगर आपको प्यास अधिक महसूस हो रही है या शरीर में पानी की कमी हो, तो सफेद पेटा का जूस एक बेहतरीन विकल्प है। यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और ऊर्जा प्रदान करता है।
पेट्टा का जूस बनाने की विधि:
सामग्री:
- पेट्टा (पपीता)– 1 कप (कटा हुआ)
- पानी – 1 कप
- शहद – स्वाद अनुसार
- नींबू का रस – 1-2 चम्मच
विधि:
- पेट्टा को छीलकर छोटे टुकड़ों में काट लें।
- एक मिक्सर जार में पेट्टा के टुकड़े, पानी और शहद डालें।
- मिक्सर को चला कर सभी सामग्री को अच्छी तरह से पीस लें, ताकि जूस तैयार हो जाए।
- जूस को छानकर गिलास में निकालें।
- ऊपर से नींबू का रस डालकर अच्छे से मिला लें।
- अब आपका ताजे पेट्टा का जूस तैयार है।
सफेद पेटा का जूस एक प्राकृतिक और स्वस्थ पेय है। लेकिन इसे हाइपोथायरॉयडिज़्म, पेट की समस्याओं या किडनी की समस्याओं वाले व्यक्तियों को सीमित मात्रा में या सलाह लेकर पीना चाहिए। सफेद पेटा में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो थायरॉयड के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को हाइपोथायरॉयडिज़्म (Hypothyroidism) है, तो उसे इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए और अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को पेट में भारीपन या सूजन की समस्या हो, तो उसे सफेद पेटा का जूस नहीं पीना चाहिए। यह समस्या और बढ़ा सकता है। सफेद पेटा के जूस में बहुत अधिक पानी होता है, जो किडनी पर दबाव डाल सकता है, खासकर तब जब व्यक्ति को पहले से किडनी से संबंधित समस्याएं हो। यदि किसी व्यक्ति को पेटा या अन्य फल/सब्जियों से एलर्जी है, तो उसे सफेद पेटा का जूस नहीं पीना चाहिए।
बुद्धि के लिए वरदान दिमाग की बीमारियों में श्रेष्ठ दिव्य औषधि
ब्राह्मी (Bacopa monnieri), जिसे आयुर्वेद में एक दिव्य औषधि माना जाता है, दिमागी शक्ति और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अत्यधिक लाभकारी है। इसे विशेष रूप से मानसिक शांति, याददाश्त, और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए जाना जाता है।

1. ब्राह्मी को दिमाग की ताकत बढ़ाने वाली औषधि के रूप में प्रसिद्ध है। यह मस्तिष्क के कार्यप्रणाली को बेहतर बनाती है और याददाश्त को सुधारने में मदद करती है। यह मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को संतुलित करती है, जो याददाश्त और सीखने की क्षमता को बढ़ाता है।
2. ब्राह्मी में विशेष प्रकार के तत्व होते हैं, जो तनाव (stress) और चिंता (anxiety) को कम करने में मदद करते हैं। यह मस्तिष्क को शांत करने का काम करती है और मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक है। ब्राह्मी का नियमित सेवन मस्तिष्क को ठंडक और शांति प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति मानसिक दबाव और घबराहट से मुक्त रहता है।

3. ब्राह्मी का सेवन स्मरणशक्ति को बढ़ाता है और व्यक्ति की एकाग्रता (concentration) में सुधार करता है। यह मानसिक धुंध (mental fog) को दूर करने में मदद करता है, जिससे किसी भी कार्य में ध्यान केंद्रित करना आसान होता है। विद्यार्थी, जो लंबी अवधि तक पढ़ाई करते हैं, वे ब्राह्मी का सेवन करके अपनी एकाग्रता और सीखने की क्षमता को बेहतर बना सकते हैं।
4. ब्राह्मी में न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं, यानी यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान से बचाने का काम करती है। यह मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं (neurons) को सुरक्षा प्रदान करती है और उनकी मरम्मत में मदद करती है। यह अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी मानसिक बीमारियों के लक्षणों को भी कम करने में सहायक हो सकती है।
ब्राह्मी का तेल सिर की त्वचा पर हल्के से मसाज करने से मानसिक शांति मिलती है और सिरदर्द से राहत मिलती है। यह तंत्रिका तंत्र को भी आराम देता है। ब्राह्मी की पत्तियों को उबालकर चाय तैयार की जा सकती है, जो दिमाग को तरोताजा और शांत करने में मदद करती है। ब्राह्मी के कैप्सूल या टैबलेट भी बाजार में उपलब्ध होते हैं, जिन्हें आप डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं।
एक चम्मच कच्चा दूध चेहरे के लिए हो सकता है वरदान आप भी जानिए कैसे।
कच्चे दूध का उपयोग त्वचा के लिए एक पुराना और प्रभावी तरीका है। यह प्राकृतिक रूप से त्वचा को पोषण, हाइड्रेशन और निखार प्रदान करता है। कच्चे दूध में विटामिन A, B, C, प्रोटीन, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा के लिए अत्यधिक फायदेमंद हैं। इसे त्वचा पर नियमित रूप से इस्तेमाल करने से कई त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

1. कच्चे दूध में प्राकृतिक नमी और फैटी एसिड होते हैं, जो त्वचा को हाइड्रेट करते हैं। यह सूखी त्वचा को नमी प्रदान करता है और उसे मुलायम और कोमल बनाता है।
2. कच्चे दूध में लैक्टिक एसिड पाया जाता है, जो मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाकर त्वचा को हल्का और चमकदार बनाता है। यह त्वचा से गंदगी और तैलीय तत्वों को निकालने में मदद करता है, जिससे त्वचा साफ और निखरी हुई दिखती है।
3. कच्चे दूध का नियमित उपयोग त्वचा पर पड़े दाग-धब्बों, सन टैन और जो पिंपल्स और त्वचा की सूजन को शांत करते हैं।असमान त्वचा रंग को हल्का करता है। लैक्टिक एसिड त्वचा की रंगत को समान बनाता है।
4. कच्चा दूध एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन A का अच्छा स्रोत है, जो त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है। यह झुर्रियां और महीन रेखाओं को कम करने में मदद करता है, जिससे त्वचा युवा और ताजगी से भरी रहती है।
5. कच्चा दूध रोम छिद्रों को साफ करता है और ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स की समस्या को कम करता है। यह त्वचा के भीतर से गंदगी और तैलीय पदार्थों को निकालकर त्वचा को स्वच्छ बनाता है।

कच्चे दूध का उपयोग करने का तरीका।
- एक कप ताजा कच्चा दूध लें। एक कॉटन पैड को दूध में डुबोएं। अब कॉटन पैड को अपने चेहरे पर लगाकर हल्के हाथों से मालिश करें।इसे 5-10 मिनट तक छोड़ दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। इससे त्वचा की गहराई से सफाई होगी।
- एक चम्मच कच्चे दूध में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट तक छोड़ दें। फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। यह पैक त्वचा को हाइड्रेट करता है और उसे मुलायम बनाता है।
- एक चम्मच कच्चे दूध में एक चम्मच बेसन मिलाएं, जिससे एक गाढ़ा पेस्ट बने। इसे चेहरे पर लगाकर 5-7 मिनट तक मसाज करें, फिर गुनगुने पानी से धो लें। यह स्क्रब मृत कोशिकाओं को हटाता है और त्वचा को साफ और निखरा हुआ बनाता है।
- एक चम्मच कच्चे दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पेस्ट बनाएं। इसे चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा की सूजन को कम करते हैं। यह पैक त्वचा को साफ और निखारता है।
- कच्चे दूध में थोड़ा सा गुलाब जल मिलाएं और इसे एक कॉटन पैड से चेहरे पर लगाएं। यह त्वचा को ठंडक पहुंचाता है और उसकी रंगत को निखारता है।
- एक चम्मच कच्चे दूध में एक या दो बूँदें जैतून के तेल की मिलाएं। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें। यह पैक त्वचा को गहराई से पोषण देता है और सूखी त्वचा को नमी प्रदान करता है।