“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
क्या आप जानते हैं कि ये मंत्र सिर्फ एक श्लोक नहीं, बल्कि एक ऊर्जा तरंग है, जिसे मृत्यु को जीतने का सामर्थ्य प्राप्त है? इस मंत्र को “महामृत्युंजय मंत्र” कहा जाता है यानी मृत्यु पर विजय पाने वाला मंत्र। यह भगवान शिव को समर्पित है और वैदिक काल से इसे सबसे शक्तिशाली और रहस्यमयी मंत्र माना गया है।

महामृत्युंजय मंत्र क्या है?
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ है “महान मृत्यु पर विजय पाने वाला मंत्र”। यह ऋग्वेद में पाया जाता है और इसका प्रयोग प्राचीन काल से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संकट से मुक्ति पाने के लिए किया जाता रहा है।
इसका जाप तीन उद्देश्यों से किया जाता है:
1. स्वास्थ्य और जीवन रक्षा
2. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
3. आध्यात्मिक जागरूकता और मोक्ष की प्राप्ति
मंत्र का शाब्दिक अर्थ:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
- त्र्यम्बकं = तीन नेत्रों वाले (भगवान शिव)
- यजामहे = हम पूजन करते हैं
- सुगन्धिं = पवित्र खुशबू वाले
- पुष्टिवर्धनम् = पोषण और विकास करने वाले
- उर्वारुकमिव = जैसे खीरा बेल से अलग होता है
- बन्धनान् = बंधनों से
- मृत्योः मुक्षीय = मृत्यु से मुक्ति दें
- मा अमृतात् = अमरत्व से वंचित न करें
अर्थ:
हम त्रिनेत्रधारी शिव की पूजा करते हैं, जो सबका पोषण करने वाले और पवित्र हैं। जैसे खीरा बेल से स्वतः अलग हो जाता है, वैसे ही हमें मृत्यु और बंधनों से मुक्त करें, परंतु अमरत्व से नहीं।
महामृत्युंजय मंत्र की ऊर्जा कैसे कार्य करती है?
1. ध्वनि कंपन से ऊर्जा क्षेत्र में सुधार
इस मंत्र का उच्चारण एक विशिष्ट कंपन (vibration) उत्पन्न करता है जो शरीर की कोशिकाओं और ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को जाग्रत करता है।
2. नकारात्मकता को हटाना
मान्यता है कि यह मंत्र नज़र, बुरी ऊर्जा, और अदृश्य शक्तियों से सुरक्षा देता है। यह मन, शरीर और आत्मा की रक्षा करता है।
3. जीवन शक्ति (Prana Shakti) को बढ़ाना
जैसे ही यह मंत्र प्राणायाम या ध्यान के साथ किया जाता है, यह शरीर की आंतरिक शक्ति को जाग्रत करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
4. मृत्यु भय से मुक्ति
यह मंत्र मृत्यु के डर को कम करता है और जीवन की अस्थिरता में भी स्थिरता प्रदान करता है।
कैसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप?

समय: सुबह सूर्योदय से पहले या रात्रि 9–12 के बीच
स्थान: पूजा स्थान या शांत, पवित्र वातावरण
संकल्प: मंत्र का जाप श्रद्धा और उद्देश्य के साथ करें जैसे रोग मुक्ति, भय से मुक्ति आदि
विधि:
1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
2. भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएँ
3. मन को शांत कर लंबी गहरी साँस लें
4. 108 बार जाप करें (रुद्राक्ष की माला से)
5. जाप के बाद “ॐ नमः शिवाय” का उच्चारण करें और शिव से प्रार्थना करें

कौन कर सकता है यह जाप?
- रोगी या उसके परिवारजन
- ध्यान और साधना में रुचि रखने वाले
- संकट या भय की स्थिति में
- नियमित साधना के इच्छुक लोग
सावधानियाँ:
- इस मंत्र का जाप हमेशा शुद्ध मन और उच्चारण से करें
- अगर किसी विशेष कार्य संकल्प के लिए कर रहे हैं, तो गुरु या पंडित की सलाह लें
- बिना भावना या श्रद्धा के मात्र संख्या पूरी करना असरहीन हो सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र और चिकित्सा विज्ञान
आज साउंड थेरेपी और माइंडफुल मेडिटेशन के दौर में वैज्ञानिक भी मानते हैं कि विशेष मंत्रों का दोहराव शरीर में healing process को तेज करता है। महामृत्युंजय मंत्र का स्वर, लय और अर्थ मिलकर एक संपूर्ण ऊर्जा चक्र बनाते हैं, जो शरीर को भीतर से ठीक करने की प्रक्रिया को गति देता है।
महामृत्युंजय मंत्र सिर्फ डर और मृत्यु से रक्षा नहीं करता, बल्कि यह जीवन की गहराई और शक्ति को छूने का माध्यम है। यह मंत्र शिव की तरह ही शांत, रहस्यमय और पूर्ण है। यदि आप जीवन के संकटों से ऊपर उठना चाहते हैं तो रोज़ इस मंत्र से जुड़ें। यकीन मानिए, ये मंत्र सिर्फ आपकी आवाज़ नहीं, आपकी आत्मा में गूंजेगा।