रिफाइंड चीनी और धागा मिश्री दोनों ही शर्करा के स्रोत होते हैं, लेकिन इन दोनों के सेवन का हमारे स्वास्थ्य पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। रिफाइंड चीनी को आमतौर पर सफेद चीनी के रूप में जाना जाता है, जबकि धागा मिश्री एक पारंपरिक मिठाई होती है जो चीनी से बनाई जाती है, लेकिन इसमें मिश्री का उपयोग किया जाता है।

1. रिफाइंड चीनी, जिसे सफेद चीनी या परिष्कृत चीनी भी कहा जाता है, मुख्य रूप से गन्ने या बीट से निकाली जाती है और फिर इसे विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजरते हुए सफेद, क्रिस्टलाइज़्ड रूप में बदला जाता है। यह प्रक्रिया चीनी में से अधिकांश पोषक तत्वों को हटा देती है, जिससे यह केवल शर्करा का स्रोत बनकर रह जाती है।
चीनी के फायदे:
- रिफाइंड चीनी शरीर को जल्दी ऊर्जा देती है, क्योंकि यह रक्त में तुरंत शर्करा का स्तर बढ़ाती है। इसलिए, जब हमें जल्दी ऊर्जा की जरूरत होती है, तो इसका सेवन किया जा सकता है।
- रिफाइंड चीनी भोजन या पेय पदार्थों में स्वाद बढ़ाने का काम करती है, जिससे मीठा खाने का आनंद मिलता है। इसके बिना कई तरह के व्यंजन और मिठाइयाँ अधूरी सी लगती हैं।
चीनी के नुकसान:
- रिफाइंड चीनी में केवल शर्करा होती है, जो कि शरीर को केवल खाली कैलोरी देती है, लेकिन इसमें कोई महत्वपूर्ण विटामिन, खनिज या फाइबर नहीं होता। इससे शरीर में कोई पोषण नहीं मिलता।
- रिफाइंड चीनी का अत्यधिक सेवन रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ा सकता है, जिससे इंसुलिन की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। इससे टाइप 2 डायबिटीज जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ता है।
- रिफाइंड चीनी का अधिक सेवन शरीर में फैट जमा करने का कारण बन सकता है, जिससे मोटापा और इससे संबंधित अन्य बीमारियाँ जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और जोडों के रोग हो सकते हैं।
- रिफाइंड चीनी दांतों में बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है, जो दांतों की सड़न और कैविटी का कारण बनते हैं।
- रिफाइंड चीनी शरीर में गैस्ट्रिक एसिडिटी और पाचन संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकती है, क्योंकि यह आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को नष्ट कर देती है।

2. धागा मिश्री एक पारंपरिक मिठाई होती है, जो मिश्री (शुद्ध चीनी) और सूती धागे से बनाई जाती है। इसमें रिफाइंड चीनी के मुकाबले कम संसाधित चीनी होती है, जो शरीर के लिए अधिक पोषक तत्व प्रदान कर सकती है। धागा मिश्री अक्सर आयुर्वेदिक उपचारों में भी प्रयोग होती है।
धागा मिश्री के फायदे:
- धागा मिश्री में शुद्ध शर्करा और मिश्री होती है, जो कम प्रसंस्कृत होती है और इसमें कुछ पोषक तत्व होते हैं। यह शरीर को थोड़ी मात्रा में ऊर्जा देने में मदद करती है।
- आयुर्वेद में धागा मिश्री को पाचन में सुधार करने वाला माना जाता है। यह भोजन के बाद ली जाती है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है, गैस, जलन और एसिडिटी को कम करने में मदद करती है।
- मिश्री में आयरन और कैल्शियम जैसे मिनरल्स होते हैं, जो हृदय के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। यह रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाने में मदद करती है और खून की कमी को दूर करने में सहायक हो सकती है।
- मिश्री का सेवन त्वचा के लिए भी लाभकारी माना जाता है। यह त्वचा की रंगत को बेहतर बनाती है और उसे निखारने में मदद कर सकती है।
- मिश्री का सेवन मानसिक तनाव को कम करने और शांति प्रदान करने में सहायक होता है। यह आयुर्वेद के अनुसार मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
मिश्री के नुकसान:
- हालांकि धागा मिश्री में कुछ मिनरल्स होते हैं, यह भी एक शर्करा का स्रोत है। इसका अधिक सेवन भी रक्त में शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे मधुमेह और मोटापा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- धागा मिश्री का अत्यधिक सेवन कैलोरी का अधिक सेवन कराता है, जिससे वजन बढ़ने का खतरा हो सकता है। विशेष रूप से, यदि आप इसे अत्यधिक मात्रा में खाते हैं तो यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
3. चीनी बनाम मिश्री की तुलना के दृष्टिकोण से उपयोगी।

कुल मिलाकर, मिश्री को अपने आहार में शामिल करना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अधिक उपयुक्त और फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसे भी सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए। वहीं, चीनी का सेवन केवल आवश्यकतानुसार और संतुलित मात्रा में करना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों से बचा जा सके।
